इस योग के दौरान शरीर की मुद्रा धनुष की तरह बन जाती है, इसलिए इसे धनुरासन कहा जाता है। धनुरासन दो शब्दों से मिलकर बना है। धनु और आसन। धनु संस्कृत का शब्द है, जिसका अर्थ धनुष है। वहीं, आसन का अर्थ मुद्रा से है। धनुरासन को 12 हठयोग में से एक माना गया है। धनुरासन योग को पेट के बल लेटने के बाद कमर मोड़कर किया जाता है। यह आसन कई तरीके से शरीर के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है, जिसकी जानकारी हम आगे लेख में दे रहे हैं।
धनुरासन करने का तरीका | How to do Dhanurasana
पेट के बल लेटकर, पैरो मे नितंब जितना फासला रखें और दोनों हाथ शरीर के दोनों ओर सीधे रखें।
घुटनों को मोड़ कर कमर के पास लाएँ और घुटिका को हाथों से पकड़ें।
श्वास भरते हुए छाती को ज़मीन से उपर उठाएँ और पैरों को कमर की ओर खींचें।
चेहरे पर मुस्कान रखते हुए सामने देखिए।
श्वासोश्वास पर ध्यान रखे हुए, आसन में स्थिर रहें, अब आपका शरीर धनुष की तरह कसा हुआ हैl
लम्बी गहरी श्वास लेते हुए, आसन में विश्राम करें।
सावधानी बरतें आसन आपकी क्षमता के अनुसार ही करें, जरूरत से ज्यादा शरीर को ना कसें।
१५-२० सैकन्ड बाद, श्वास छोड़ते हुए, पैर और छाती को धीरे धीरे ज़मीन पर वापस लाएँl घुटिका को छोड़ेते हुए विश्राम करें।
धनुरासन करने के फायदे ?
* डिप्रेशन कम करने में – योगा करने से मानव की मानसिक व शारीरिक स्तिथि का विकास होता है। कुछ शोध के अनुसार धनुरासन करने से डिप्रेशन व अवसाद को कम किया जा सकता है। इसके अलावा डिप्रेशन के लक्षण को कम करने में फायदेमंद रहता है। यह आसान मोटापा को कम करता है और शरीर को संतुलित रखता है। योगा करने से कोर्टिसोल हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद करता है क्योंकि कोर्टिसोल हार्मोन अवसाद को बढ़ावा देता है। अगर आपको अवसाद या चिंता होती है, तो रोजाना धनुरासन करना चाहिए।
* पेट की मांसपेशियो को मजबूत करने में – बहुत से योगासन है जिनका उपयोग करने से शरीर की कई तरह की समस्या को ठीक कर सकते है वैसे ही धनुरासन है जो पेट की मांसपेशियो को मजबूत करने में प्रभावी होता है। यह आसान करने से पीठ को मोड़ सकते है और मांसपेशियो में खिंचाव होता है। यह रीढ़ की हड्डियों में लचीलापन करता है। यदि किसी प्रकार का दर्द मांसपेशियो में होता है यह आसान करने से आराम मिलता है। यह कहना गलत नहीं होगा मांसपेशियो को मजबूत करता है।
* पीठ मजबूत करने में – पीठ या कमर दर्द जैसी समस्या से राहत दिलाने के लिए धनुरासन अच्छा योग आसन होता है। यह आसन करने से शरीर में रक्त परिसंचरण में सुधार करता है। कुछ अध्ययन के अनुसार महिलाओं में अधिक पीठ दर्द की समस्या धनुरासन करने से दूर होती है। इस आसन से पीठ के दर्द से आराम मिलता है। लेकिन नियमित रूप से रोजाना करने पर केवन इस आसन का फायदा मिलता है।
* पैर की मांसपेशियो को मजबूत करें – धनुरासन करने से मांसपेशियो में खिंचाव होता है और पैर, हाथों की मांसपेशियो में खिंचाव महसूस होता है। इस आसन को करने से हाथो व बाहों में कसावट बनी रहती है। वैज्ञानिक के अनुसार इस बात की पुस्टि नहीं की गयी है लेकिन पैर की मांसपेशियो को मजबूत करने में यह आसन लाभकारी होता है। यदि हाथो और पैरो की मांसपेशियो को मजबूत करना चाहते है तो धनुरासन जरूर करें
ये लोग धनुरासन न करें
जिन लोगों को कमर में दर्द है, पेट में दर्द और छाले हो, माइग्रेन अथवा सिरदर्द होने पर , उच्च और निम्न रक्तचाप की समस्या में इस आसन को करने से परहेज करें। गर्भवती महिलाएं भी इस आसन का अभ्यास न करें।
मधुमेह कैसे होता है
जब हमारे शरीर के पैंक्रियाज में इंसुलिन का पहुंचना कम हो जाता है तो खून में ग्लूकोज का स्तर बढ़ जाता है। इस स्थिति को डायबिटीज कहा जाता है। इंसुलिन एक हार्मोन है जोकि पाचक ग्रंथि द्वारा बनता है। इसका कार्य शरीर के अंदर भोजन को एनर्जी में बदलने का होता है। यही वह हार्मोन होता है जो हमारे शरीर में शुगर की मात्रा को कंट्रोल करता है। मधुमेह हो जाने पर शरीर को भोजन से एनर्जी बनाने में कठिनाई होती है। इस स्थिति में ग्लूकोज का बढ़ा हुआ स्तर शरीर के विभिन्न अंगों को नुकसान पहुंचाना शुरू कर देता है।
यह रोग महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों में अधिक होता है। मधुमेह ज्यादातर वंशानुगत और जीवनशैली बिगड़ी होने के कारण होता है। इसमें वंशानुगत को टाइप-1 और अनियमित जीवनशैली की वजह से होने वाले मधुमेह को टाइप-2 श्रेणी में रखा जाता है। पहली श्रेणी के अंतर्गत वह लोग आते हैं जिनके परिवार में माता-पिता, दादा-दादी में से किसी को मधुमेह हो तो परिवार के सदस्यों को यह बीमारी होने की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा यदि आप शारीरिक श्रम कम करते हैं, नींद पूरी नहीं लेते, अनियमित खानपान है और ज्यादातर फास्ट फूड और मीठे खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो मधुमेह होने की संभावना बढ़ जाती है।
मधुमेह के विभिन्न प्रकार क्या हैं?
मधुमेह उन रोगों का एक समूह है जिसमें शरीर पर्याप्त या किसी भी इंसुलिन का उत्पादन नहीं करता है, जो उत्पादित इंसुलिन का ठीक से उपयोग नहीं करता है, या दोनों के संयोजन का प्रदर्शन करता है। जब इनमें से कोई भी चीज होती है, तो शरीर ब्लड से शुगर को कोशिकाओं में ले जाने में असमर्थ होता है। यह हाई ब्लड शुगर के स्तर की ओर जाता है।
मधुमेह के तीन मुख्य प्रकार होते हैं:
१.: किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली गलती से अग्न्याशय में इंसुलिन बनाने वाली बीटा कोशिकाओं पर अटैक करती है और नष्ट कर देती है। कुछ लोगों में जीन भी इस बीमारी के कारण में एक भूमिका निभाते हैं। इस प्रकार, इंसुलिन का उत्पादन नहीं होता है और इस प्रकार हाई ब्लड शुगर होता है।
२. यह इंसुलिन प्रतिरोध के कारण होता है। यह आनुवांशिकी और जीवन शैली कारकों का संयोजन है जैसे अधिक वजन या मोटापे के कारण इस समस्या का खतरा बढ़ जाता है। पेट में भारी वजन के कारण कोशिकाएं ब्लड शुगर पर इंसुलिन के प्रभाव के लिए अधिक प्रतिरोधी हो जाती हैं।
३ इस समस्या का मुख्य कारण गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल परिवर्तन है। नाल हार्मोन का उत्पादन करता है और ये हार्मोन कोशिकाओं को इंसुलिन के प्रभाव के प्रति कम संवेदनशील बना सकते हैं। यह गर्भावस्था के दौरान हाई ब्लड शुगर का कारण बन सकता है। उचित आहार के माध्यम से इस बीमारी को रोका जा सकता है।
मधुमेह के लक्षण
सारा दिन थकान महसूस होगा। हर रोज भरपूर नींद लेने के बाद भी सुबह उठते ही आपको ऐसा लगना कि आपकी नींद पूरी नहीं हुई है और शरीर थका हुआ है। ये चीजें बताती हैं कि खून में शुगर का लेवल लगातार बढ़ रहा है।
मधुमेह होने पर बार-बार पेशाब आने लगता है। जब शरीर में ज्यादा मात्रा में शुगर इकट्ठा हो जाता है तो यह पेशाब के रास्ते से बाहर निकलता है, जिसके कारण मधुमेह रोगी को बार-बार पेशाब लगने की शिकायत शुरू हो जाती है।
मधुमेह रोगी को बार-बार प्यास लगती है। चूंकि पेशाब के रास्ते से शरीर का पानी और शुगर बाहर निकल जाता है जिसके कारण हमेशा प्यास लगने जैसी स्थिति बनी रहती है। लोग अक्सर इस बात को हल्के में ले लेते हैं और समझ ही नहीं पाते कि उनकी बीमारी की शुरुआत अब हो चुकी है।
मधुमेह रोग की शुरूआत में आंखों पर काफी प्रभाव पडता है। डायबिटीज के मरीज में रोग की शुरूआत में ही आंखों की रोशनी कम होने लगती है और धुंधला दिखाई पडने लगता है। किसी भी वस्तु को देखने के लिए उसे आंखों पर ज़ोर डालना पडता है।
मधुमेह रोग की शुरूआत में ही अचानक वज़न तेजी से कम होने लगता है। सामान्य दिनों की अपेक्षा आदमी का वजन एकाएक कम होने लगता है।
डायबिटीज के मरीज का वजन तो कम होता है लेकिन भूख में बढोतरी भी होती है। अन्य दिनों की अपेक्षा आदमी की भूख कई गुना बढ जाती है। बार-बार खाना खाने की इच्छा होती है।
अगर आपके शरीर में चोट या कहीं घाव लग जाए और यह जल्दी ना भरे, चाहे कोई छोटी सी खरोंच क्यों ना हो, वह धीरे-धीरे बडे़ घाव में बदल जाएगी और उसमें संक्रमण के लक्षण साफ-साफ दिखाई देने लगेंगे।
डायबिटीज मरीज के शरीर में किसी भी तरह का संक्रमण जल्दी से ठीक नही होता है। अगर आपको वायरल, खॉसी-जुकाम या कोई भी बैक्टीरियल इंफेक्शन हो जाए तो आपको राहत नहीं मिलेगी। छोटे-छोटे संक्रमण जो आसानी से खुद ठीक हो जाते हैं बढे घाव बन जाते हैं।
मधुमेह की शुरूआत में त्वचा संबंधी कई रोग होने शुरू हो जाते हैं। त्वचा के सामान्य संक्रमण बडे घाव बन जाते हैं।
मधुमेह के लिए योगासन
१. सुप्त मत्स्येन्द्रासन
सुप्त मत्स्येन्द्रासन के अभ्यास का तरीका सबसे पहले योगा मैट पर पीठ के बल लेट जाएं। अब अपने दाएं पैर को घुटने से मोड़ें और ऊपर उठाते हुए इसके तलवे को बाएं घुटने पर टिकाएं।फिर अपनी पीठ को बायीं ओर मोड़ें और अपने दाएं हाथ को दाएं पैर के घुटने पर रखें। वहीं, बाएं हाथ को कंधे की सीध में फैलाएं।इसके बाद सिर को बायीं ओर घुमाएं। कुछ देर इसी स्थिति में रहने के बाद सामान्य हो जाएं।
२. सुदर्शन क्रिया
सुदर्शन क्रिया सांसों से जुड़ा एक ऐसा योगासन है जिसमें धीमी और तेज गति से सांसे अंदर-बाहर करनी होती है. यदि आप इस क्रिया को नियमित रूप से करते हैं तो सांसो पर पूरी तरह नियंत्रण पा लेते हैं जिससे आपका इम्यून सिस्टम भी बेहतर होता है
शव एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ है- मृत शरीर। इस आसन को यह नाम इसलिए मिला है क्योंकि इसमें एक मृत शरीर के समान आकार लिया जाता है। शवासन विश्राम करने के लिए है और अधिकांश पूरे योगासन क्रम के पश्चात किया जाता है। एक पूरा योग का क्रम क्रियाशीलता के साथ आरम्भ होता है और विश्राम में समाप्त होता है। यह वह स्थिति है जब आपके शरीर को पूर्ण विश्राम मिलता है।
४. धनुरासन
आर्ट ऑफ लिविंग के मुताबिक, धनुरासन पैंक्रियाज को सक्रिय कर देता है. शरीर में ब्लड शुगर कंट्रोल करने वाले इंसुलिन हॉर्मोन पैंक्रियाज ही उत्पादित करता है. इसके अलावा धनुरासन पेट के सभी अंगों को मजबूत बनाने के साथ तनाव से भी राहत देता है.
Vrikshasana करने का तरीका :-
- हाथों को बगल में रखते हुए सीधे खड़े हो जाएँ।
- दाहिने घुटनें को मोड़ते हुए अपने दाहिने पंजे को बाएँ जंघा पर रखेंI आपके पैर का तलवा जंघा के ऊपर सीधा एवं ऊपरी हिस्से से सटा हुआ हो।
- बाएँ पैर को सीधा रखते हुए संतुलन बनाये रखें।
- अच्छा संतुलन बनाने के बाद गहरी साँस अंदर लें, कृतज्ञता पूर्वक हाथों को सर के ऊपर ले जाएँ और नमस्कार की मुद्रा बनाएंI
- बिल्कुल सामने की तरफ देखें, सीधी नज़र सही संतुलन बनाने में अत्यंत सहायक हैI
- रीढ की हड्डी सीधी रहे I आपका पूरा शरीर रबर बैंड की तरह तना हुआ होI हर बार साँस छोड़ते हुए शरीर को ढीला छोडते जाएँ और विश्राम करें, मुस्कुराते हुए शरीर और साँस के साथ रहेंI
- धीरे-धीरे साँस छोड़ते हुए हाथों को नीचे ले आयेंI धीरे से दाहिने पैर को सीधा करेंI
- सीधे लम्बे खड़े हो जाए बिल्कुल पहले की तरहI अब बाएँ तलवे को दाहिने जांघ पर रख कर आसन को दोहराएं
Vrikshasana (वृक्षासन) Ke फायदे :-
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